Friday, 26 July 2019

मानवाधिकार

मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। सभी व्यक्तियों को गरिमा और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।

वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवनस्तर को प्राप्त करने का अधिकार है, जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य, कल्याण और विकास के लिए आवश्यक है। मानव अधिकारों में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के समक्ष समानता का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार आदि नागरिक और राजनीतिक अधिकार भी सम्मिलित हैं।

मानव अधिकार मानव के विशेष अस्‍तित्‍व के कारण उनसे संबंधित है इसलिए ये जन्‍म से ही प्राप्‍त हैं और इसकी प्राप्‍ति में जाति, लिंग, धर्म, भाषा, रंग तथा राष्‍ट्रीयता बाधक नहीं होती। मानव अधिकार को मूलाधिकार आधारभूत अधिकार अंतरनिहित अधिकार तथा नैसर्गिक अधिकार भी कहा जाता है।

मानव अधिकार की कोई सर्वमान्‍य विश्‍वव्‍यापी परिभाषा नहीं है इसलिए राष्‍ट्र इसकी परिभाषा अपने सुविधानुसार देते हैं। विश्‍व के विकसित देश मानवाधिकार की परिभाषा को केवल मनुष्‍य के राजनीतिक तथा नागरिक अधिकारों को भी शामिल रखते हैं। मानवाधिकार को कानून के माध्‍यम से स्‍थापित किया जा सकता है। इसका विस्‍तृत फलक होता है जिसमें नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक अधिकार भी आते हैं।

ऐतिहासिक

अशोक के आदेश पत्र आदि अनेक प्राचीन दस्तावेजों एवं विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक पुस्तकों में अनेक ऐसी अवधारणाएं हैं जिन्हें मानवाधिकार के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। आधुनिक मानवाधिकार कानून और इसकी अधिकांश अपेक्षाकृत व्यवस्थाओं का संबंध समसामयिक इतिहास से है।

1. 'द ट्वेल्व आर्टिकल्स ऑफ द ब्लैक फॉरेस्ट' (1525) को यूरोप में मानवाधिकारों का प्रथम दस्तावेज माना जाता है, जो कि जर्मनी के किसानों की स्वाबियन संघ के समक्ष उठाई गई मांगों का ही एक हिस्सा है।
2. यूनाइटेड किंगडम में '1628 ई. पेटिशन ऑफ राइट्स' में मानवीय अधिकारों का उल्लेख किया गया।

3. वर्ष 1690 ई. में जॉन लॉक ने भी इन अधिकारों का अपनी पुस्तक 'स्टेट्स ऑफ नेचर' में वर्णन किया।

4. वर्ष 1791 ई. में 'ब्रिटिश बिल ऑफ राइट्स' ने यूनाइटेड किंगडम में सिलसिलेवार तरीके से सरकारी दमनकारी कार्रवाइयों को अवैध ठहराया।

5. वर्ष 1776 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता के बाद इन अधिकारों को अमेरिकी संविधान में स्थान दिया गया।
6. वर्ष 1789 ई. में फ्रांस क्रांति के उपरांत फ्रांस में भी मानव तथा नागरिकों के अधिकारों की घोषणा को अभिग्रहीत किया गया।

Tuesday, 17 March 2015

संविधान

आत्मसम्मान के साथ जीने के लिए, अपने विकास के लिए और आगे बढ़ने के लिए कुछ हालात ऐसे चाहिए जिससे कि उनके रास्ते में कोई व्यवधान न आए। पूरे विश्व में इस बात को अनुभव किया गया है और इसीलिए मानवीय मूल्यों की अवहेलना होने पर वे सक्रिय हो जाते हैं। इसके लिए हमारे संविधान में भी उल्लेख किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 23, 24, 39, 43, 45 देश में मानवाधिकारों की रक्षा करने के सुनिश्चित हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि इस दिशा में आयोग के अतिरिक्त कई एनजीओ भी काम कर रहे हैं और साथ ही कुछ समाजसेवी लोग भी इस दिशा में अकेले ही अपनी मुहिम चला रहे हैं।

'10 दिसंबर' को पूरी दुनिया में मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1948 को संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा ने संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा को अंगीकृत किया गया। मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा में प्रस्तावना एवं 30 अनुच्छेद हैं।

इस विश्वव्यापी घोषणा की प्रस्तावना में कहा गया है कि मानव समुदाय के सभी सदस्यों के गौरवपूर्ण जीवन एवं समानता के अधिकार विश्वव्यापी स्वतंत्रता, न्याय एवं शांति के अधिकार के लिए हैं, जहां पुरुष एवं महिला अच्छे सामाजिक विकास के साथ अधिक से अधिक स्वतंत्रता प्राप्त कर सके अर्थात अनुच्छेद 1 से लेकर अनुच्छेद 20 तक व्यक्ति के नागरिक तथा राजनीतिक अधिकारों की व्याख्या की गई है तथा अनुच्छेद 21 से 30 तक व्यक्ति के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक अधिकारों को सम्मिलित किया गया है।