मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। सभी व्यक्तियों को गरिमा और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।
वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवनस्तर को प्राप्त करने का अधिकार है, जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य, कल्याण और विकास के लिए आवश्यक है। मानव अधिकारों में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के समक्ष समानता का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार आदि नागरिक और राजनीतिक अधिकार भी सम्मिलित हैं।
मानव अधिकार मानव के विशेष अस्तित्व के कारण उनसे संबंधित है इसलिए ये जन्म से ही प्राप्त हैं और इसकी प्राप्ति में जाति, लिंग, धर्म, भाषा, रंग तथा राष्ट्रीयता बाधक नहीं होती। मानव अधिकार को मूलाधिकार आधारभूत अधिकार अंतरनिहित अधिकार तथा नैसर्गिक अधिकार भी कहा जाता है।
मानव अधिकार की कोई सर्वमान्य विश्वव्यापी परिभाषा नहीं है इसलिए राष्ट्र इसकी परिभाषा अपने सुविधानुसार देते हैं। विश्व के विकसित देश मानवाधिकार की परिभाषा को केवल मनुष्य के राजनीतिक तथा नागरिक अधिकारों को भी शामिल रखते हैं। मानवाधिकार को कानून के माध्यम से स्थापित किया जा सकता है। इसका विस्तृत फलक होता है जिसमें नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं।
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