Tuesday, 17 March 2015

संविधान

आत्मसम्मान के साथ जीने के लिए, अपने विकास के लिए और आगे बढ़ने के लिए कुछ हालात ऐसे चाहिए जिससे कि उनके रास्ते में कोई व्यवधान न आए। पूरे विश्व में इस बात को अनुभव किया गया है और इसीलिए मानवीय मूल्यों की अवहेलना होने पर वे सक्रिय हो जाते हैं। इसके लिए हमारे संविधान में भी उल्लेख किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 23, 24, 39, 43, 45 देश में मानवाधिकारों की रक्षा करने के सुनिश्चित हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि इस दिशा में आयोग के अतिरिक्त कई एनजीओ भी काम कर रहे हैं और साथ ही कुछ समाजसेवी लोग भी इस दिशा में अकेले ही अपनी मुहिम चला रहे हैं।

'10 दिसंबर' को पूरी दुनिया में मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1948 को संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा ने संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा को अंगीकृत किया गया। मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा में प्रस्तावना एवं 30 अनुच्छेद हैं।

इस विश्वव्यापी घोषणा की प्रस्तावना में कहा गया है कि मानव समुदाय के सभी सदस्यों के गौरवपूर्ण जीवन एवं समानता के अधिकार विश्वव्यापी स्वतंत्रता, न्याय एवं शांति के अधिकार के लिए हैं, जहां पुरुष एवं महिला अच्छे सामाजिक विकास के साथ अधिक से अधिक स्वतंत्रता प्राप्त कर सके अर्थात अनुच्छेद 1 से लेकर अनुच्छेद 20 तक व्यक्ति के नागरिक तथा राजनीतिक अधिकारों की व्याख्या की गई है तथा अनुच्छेद 21 से 30 तक व्यक्ति के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक अधिकारों को सम्मिलित किया गया है।

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